हर ग्रह से सम्बंधित मकान

नवग्रहों से सम्बंधित मकान भी अलग-अलग प्रकार के होते हैं, जिसकी जानकारी इस प्रकार है

सूर्य का मकान

सूर्य रोशनी के रास्ते बताएगा। मकान का दरवाजा पूर्व की ओर होगा। सहन मकान के बीच में होगा। आग के सम्बन्ध सहन में होंगे। हो सकता है कि पानी का सम्बंध मकान से बाहर निकलते हुए सहन में ही हो। वह इधर-उधर किसी और जगह नहीं होगा।

चन्द्र का मकान

चन्द्र जमीन एवं धन-दौलत का स्वामी है और सूर्य से मिलता है। प्रथम तो मकान के अंदर ही वरना मकान के बाहर की चारदीवारी से लगता हुआ अथवा उस मकान से जातक के अपने 24 कदम दूर कुआं, हैडपम्प या तालाब आदि चलता हुआ पानी अवश्य होगा। जमीन के अन्दर से कुदरती पानी चन्द्र होगा। बनावटी नल का चन्द्र नही होगा। झरने आदि चन्द्र गिने जाते हैं।

मंगल नेक का मकान

यह ग्रह बृहस्पति, चन्द्र और सूर्य के साथ चलता है। मगर उनके दाएं या बाएं चौकीदार के समान होगा। मकान का दरवाजा उत्तर-दक्षिण में होगा। कच्चे या पक्के होने की शर्त नहीं। स्त्री, पुरुषों एवं जानदारों के आने-जाने की बरकत देगा।

मंगल बद का मकान

मकान का दरवाजा सिर्फ दक्षिण में होगा। मकान के साथ या मकान के ऊपर किसी वृक्ष का साया, आग, हलवाई की दुकान और भट्ठी का स्थापन होगा। मकान में या मकान के साथ कब्रिस्तान अथवा श्मशान होगा। लावल्दों का साथ होगा। ह सकता है कि वह खुद ही काना एवं निःसन्तान हो। अगर किस्मत अच्छी नहीं होगी तो उसे उसमें रहने का मौका भी नहीं मिलेगा।

बुध का मकान

मकान के चारों तरफ खाली या खुला दायरा होगा। वह अकेला ही होगा। चौड़े पत्तों के वृक्षों का साथ होगा। बृहस्पति या चन्द्र के वृक्ष का साथ नहीं होगा। अगर होगा तो वह घर बुध की दुश्मनी का पूरा सबूत देगा (पीपल एवं बरगद का वृक्ष बृहस्पति, शहतूत चन्द्र तथा लसूड़ा बुध होता है।)

बृहस्पति का मकान

बृहस्तपति हवा के रास्तों से सम्बंधित है। मकान का सहन किसी एक कोने में होगा। चाहे शुरू में या आखिर में अथवा दाएं या बाएं, मगर बीच में नहीं होगा। मकान का दरवाजा उत्तर-दक्षिण में नहीं होगा। हो सकता है कि पीपल का वृक्ष या कोई धर्म स्थान, मन्दिर, गुरुद्वारा आदि मकान से बिल्कुल सटा हुआ हो।

शुक्र का मकान

मकान के सम्बन्ध में यह ग्ह सूर्य के विरुद्ध होगा। ड्योढ़ी का शहतीर उत्तर-दक्षिण दिशा में होगा। मकान में कच्चा हिस्सा जरूर होगा। दरवाजे उत्तर-दक्षिण में होंगे। उसका सबूत सफेद कली, चूने का हिस्सा और पलस्तर से होगा।

शनि का मकान

यह ग्रह मकान में चारदीवारी से सम्बंधित होगा। यह सूर्य के विपरीत चलता है। मकान का बड़ा दरवाजा पश्चिम की ओर होगा (अन्दर के दरवाजे किसी भी ग्रह में नहीं माने गए हैं)। मकान की सबसे आखिरी कोठरी जो बाहर से अन्दर को प्रवेश करते वक्त दाईं हाथ की ओर हो, पूरी अंधेरी होगी। जिस दिन उसमें रोशनी का प्रबन्ध न हो, उस दिन शनि का फल उत्तम रहेगा। जिस दिन थोड़ी-सी भी सूर्य की रोशनी के आने का प्रबन्ध होगा, सूर्य-शनि का झगड़ा होगा। फलतः वह घर बर्बाद हो जाएगा। मकान में पत्थर गड़ा होगा। पहली दहलीज पुरानी लकड़ी या शीशम, कीकर, बार, प्लाई आदि की होगी। नए जमाने की लकड़ी आदि की नहीं होगी। छत पर भी पुरानी लकड़ी का साथ आम होगा। हो सकता है कि इस मकान में स्तम्भ या मीनार का साथ हो।

राहु का मकान

(बालिगों से सम्बंधित बीमारियां, झगड़े, राहु, छत बलायेबद) बाहर से अन्दर जाते समय स मकान में दाएं हाथ पर कोई गुमननाम ग़ड्ढा होगा। बड़े दरवाजे की दहलीज के बिल्कुल नीचे से मकान का पानी बाहर निकलता होगा। मकान के सामने पड़ोसी सन्तान रहित होगा या उस मकान में कोई रहता नहीं होगा। मकान की छतें कई बार बदली गई होंगी, पर दीवारें नहीं बदली गई होंगी। मकान के साथ लगती भड़भूजे की भट्ठी होगी। कोई कच्चा धुआं या गंदा पानी जमा करने का गड्ढा साथ होगा।

केतु का मकान

बच्चों से सम्बंधित केतु खिड़कियां-दरवाजे बताएगा। बुरी हवा अचानक धोखा देगी। कोने का मकान होगा। तीन तरफ मकान और एक तरफ खुला होगा अथवा तीन तरफ खुला एक तरफ कोई मकान होगा। हो सकता है कि उस मकान की तीन तरफें खुली हों। केतु के मकान में नर संतान लड़के या पोते होंगे। मगर एक ही लड़का और एक पोता कायम होगा। इस मकान के दो तरफ जाता हुआ रास्ता होगा। साथ का हमसाया मकान कोई न कोई जरूर गिरा होगा या कुत्तों के आने-जाने का खाली मैदान-सा होगा।

गृह निर्माण संबंधी विचार –
मूलभूत आवश्यकताओं में रोटी, कपड़ा एवं मकान को गिना जाता है। अतः ज्योतिष शास्त्र में जीवन निर्वाह के अन्य मुद्दों के साथ-साथ गृह निर्माण भी एक प्राथमिक प्रश्न है। भवन-निर्माण कार्य कुण्डली के दसवें तथा ग्यारहवें भाव से देखा जाता है। इस घर का स्थायी स्वामी शनि है, जिसकी कृपा के बिना यह कार्य संभव नहीं हो पाता। उच्च का शनि जहां व्यक्ति को हर तरह से मालामाल करता है, वहीं नीच लग्नस्थ शनि जीवन को अंधकार के गर्त में डुबो देता है। भवन-निर्माण के कुछ योग नीचे दिये गये हैं, जिनका महत्व दैनिक जीवन में प्रायः सभी ज्योतिषी अनुभव करते हैं –

यदि प्रथम भावस्थ शनि होते हुए भवन-निर्माण कराया जाये तो शनि सब कुछ बरबाद कर देता हैं। परन्तु यदि सातवां तथा दसवां घर खाली हो तो कोई नुकसान नहीं होता।
द्वितीय भावस्थ शनि भवन-निर्माण के लिये सामान्य होता है। इससे कोई निकसान नहीं होता।
यदि कुण्डली में तृतीय भाव का शनि हो तो घर में तीन कुत्तों को पालें, अन्यथा आर्थिक तंगी से घर बरबाद हो जाता है।
चतुर्थ भावस्थ शनि भवन-निर्माण के योग्य नहीं होता। ऐसे में जातक, उसके ससुराल पक्ष एवं भाई-भतीजों को घोर कष्ट भोगना पड़ता है।
यदि जातक की कुण्डली में पंचम भावस्थ शनि हो तो स्वयं का बनवाया मकान हितकर नहीं होगा। ऐसे में लड़के मकान बनवायें तो शुभ होगा, अन्यथा 48 वर्ष की आयु के बाद मकान बनवायें। इसके लिये पैसों की पूजा करने के बाद ही उन्हें भवन-निर्माण में खर्च करें।
षष्ठम भावस्थ शनि होने पर मकान बनवाना लड़की के घर वालों के लिये अशुभ होता है।
सप्तम भावस्थ शनि होने पर बने हुए पुराने मकान की चौखट संभालकर रखें। ऐसा करने पर बने-बनाये मकान बहुत मिलेंगे। अपना मकान बेचना हितकर नहीं होगा।
अष्टम भावस्थ शनि होने पर मकान बनवाना मृत्यु का कारक होगा।
यदि नवम भावस्थ शनि वाले जातक की माता या पत्नी के गर्भ में बच्चा हो तथा वह मकान बनवाना शुरू करे तो पिता पर बुरा असर पड़ता है।
दशम भावस्थ जातक जब तक मकान नहीं बनवाता, खूब धन पाता है। परन्तु मकान बनते ही वह नीच या मन्दे शनि के कारण निर्धन हो जाता है।
एकादश भावस्थ शनि वाले व्यक्ति का 55 वर्ष की आयु के बाद ही मकान बन पाता है। यदि वह दक्षिण दिशा में रिहाइश करे तो कष्टदायी मौत का समाना करना पड़ता है।
द्वादश भावस्थ शनि वाला जातक अपना मकान नहीं बनवा पाता। यदि मकान बन रहा हो तो जैसा बने, बनने दे। मकान के चारों कोने 90 डिग्री के हों तो उत्तम होगा।
ग्रहों का असर - जातक की कुण्डली के अनुसार 1 से 9 तक के ग्रह अपना असर मकान में प्रवेश करते समय दायें हाथ की दिशा में तथा 10वें, 12वें खानों में बैठे ग्रह अपना प्रभाव बायें हाथ की तरफ से डालते हैं। खाना नं० 7 मकान में सुख-दुःख और खाना नं० 2 मकान की स्थिति बताता है।

जातक को चाहिये कि वह पुण्य नक्षत्र में मकान बनवाना शुरू करे। मकान के पूर्ण होने पर प्रतिष्ठा करके खैरात इत्यादि बांटना अति आवश्यक है। यदि वर्षफल की कुण्डली में शनि, राहु तथा केतु सामान्य घरों में हों तो ठीक, अन्यथा नीच राहु-केतु मकान को बिकवा देते हैं।

मुख्य निकास – मकान के दरवाजे की दिशा हर प्रकार से महत्वपूर्ण मानी जाती हैं, क्योंकि प्रातः काल निकलते सूर्य का दर्शन तथा उसकी रोशनी स्वास्थ्य के लिये लाभकारी होती है। लेकिन ज्योतिष में विभिन्न दिशाओं में दरवाजा होने के फल अलग होते हैं –

पूर्व का दरवाजा हर दृष्टि से प्रथम श्रेणी का उत्तम फलदायी एवं लाभकारी कहा जाता है।
पश्चिम का दरवाजा द्वितीय श्रेणी का माना जाता है और उत्तम फलदायी होता है।
उत्तर का दरवाजा धार्मिक दृष्टिकोण से नेक, सुख-शांति देने वाला, समृद्धिकारक तथा शांतिदायक होता है।
दक्षिण का दरवाजा होना हर प्रकार से निकृष्ट तथा बुरे फल देने वाला माना जाता है। ऐसे मकान स्त्री के लिए मौत का घर कहलाता है। उसमें केवल अकेला व्यक्ति ही रह सकता है।
उपाय – हर वर्ष धार्मिक अनुष्ठान व गाय-बकरी का दान करना चाहिये। ऐसा करने पर जीवन सामान्य तथा हानि रहित होता है।

व्यवस्था - रात को सोते समय सिरहाना पूर्व की ओर करना लाभदायक होता है। इससे शरीर तथा आत्मा दोनों को शांति मिलती है। दक्षिण की तरफ पैर करके सोना हर प्रकार से अशुभ माना जाता है। घर में बैठक, पूजन कक्ष व रसोईघर पूर्व की तरफ उत्तर की ओर शौचालय दक्षिण दिशा में पानी व धन-दौलत तथा अतिथि कक्ष पश्चिम कोने में रखना चाहिये। इस प्रकार की व्यवस्था वाला मकान हर प्रकार से श्रेष्ठ माना गया है।

स्थिति – मकान से निकलते समय दायें हाथ पर कुआं या पानी का स्थान तथा बायें या पीठ पीछे रसोई घर के अलाव इत्यादि रखना उत्तम माना जाता है। यदि मकान के पास पीपल का पेड़ न हो तो ठीक है। परन्तु अगर पेड़ पास में हो तो प्रतिदिन उसकी जड़ में एक लोटा पानी डालें। क्योंकि जहां तक पेड़ की छाया पहुंचती है, वहां तक विशेष दैवी प्रकोप होते रहते हैं। कीकर के पेड़ में सायंकाल 40 दिन तक जल डालने से विशेष दैवी सहायता प्राप्त होती है।

ज्योतिष विद्या में मकान के अन्दर साज-सामान को ठीक जगह पर रखने का भी विधान बताया गया है। इसके अभाव में घर में नाना प्रकार की विपत्तियां आती रहती हैं। जैसे – यदि मकान के उत्तरी-पूर्वी कोने में लोहे का सन्दूक रख दिया जाये तो चन्द्रमा का फल मन्दा हो जाता है। ऐसे में जातक को चंद्रमा का दुष्प्रभाव झेलना पड़ता है।
 

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